मित्रता की परिभाषा बना इस्रायल

आज भले ही भारत में केवल पांच हजार यहूदी होंगे, क्योंकि अधिकांश इस्रायल बनने के बाद चले गये, लेकिन भारत की विकास गाथा में उनका अप्रतिम योगदान सभी भारतीय कृतज्ञता से याद करते हैं। यदि 1971 में पाकिस्तानी सेना से आत्मसमर्पण करवानेवाले नायक लेफ्टिनेंट जनरल जेएफआर जैकब यहूदी थे, तो महाराष्ट्र में श्रेष्ठ स्कूल, पुस्तकालय, बंदरगाह, अस्पताल भी डेविड सैसून जैसे अनेक यहूदी भारतीयों ने बनवाये। भारतीय फिल्म उद्योग कभी यहूदी नायक-नायिकाओं के योगदान से उऋण नहीं हो सकता।  सुलोचना, नादिरा, डेविड यदि प्रथम सवाक् फिल्मों की नायिकाओं से लेकर चरित्र नायकों तक भारतीय फिल्म उद्योग के शिखर पर छाये रहे।

िन दिनों भारत की संसद और मीडिया में इस्रायल से संबंध न रखने के नारे बुलंद होते थे, उन दिनों भी इस्रायल ने भारत की बिना शर्त सहायता की. भारत से उपेक्षा तथा हर अन्तराष्ट्रिय मंच पर विरोध सहा, पर कभी भारत के खिलाफ न एक शब्द कहा, न नाराजगी जतायी. ऐसे देश से आये बेंजामिन नेतन्याहू पंद्रह साल बाद आये पहले इस्रायली प्रधानमंत्री हैं. पिछले साल जब नरेंद्र मोदी इस्रायल गये थे, तो स्वतंत्रता के बाद वह पहले भारतीय प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने तेल अवीव तथा जेरुसलम की यात्रा की।

भारत का इस्रायल से संबंध ढका-छुपा रहा है. मोदी सरकार ने इस्रायल से अपने संबंध मुस्लिम देषों, अरब-कूटनीति व फिलीस्तीन प्रश्न से पृथक करने का साहस दिखाया और भारत के हितों एवं सुरक्षा को प्रथम वरीयता देते हुए इन संबंधों को एक स्वतंत्र आयाम दिया, परंतु इसका अर्थ यह नहीं कि भारत की अरब-फिलीस्तीन नीति में बदलाव आया है. हाल ही में जब अमेरिका ने जेरुसलम को इस्रायल की राजधानी घोशित करने का प्रस्ताव रखा, तो भारत के उसके विरुद्ध मतदान किया, जिसकी यद्यपि भारत के इस्रायल मित्रों ने आलोचना की, परंतु इस्राइल ने यह कहकर विशय को टाल दिया कि भारत-इस्रायल संबंध किसी एक वोट पर निर्भर नहीं. क्या उन मुस्लिम देशों से, जो कश्मीर और आतंक जैसे प्रश्नों पर आयें-बायें देखते हैं- ऐसे खुले मन से भारत मैत्री की स्वीकारोक्ति की अपेक्षा की जा सकती है?

इस्रायली प्रधानमंत्री की छह दिवसीय भारत यात्रा में नौ से ज्यादा महत्वपूर्ण समझौते हुए- जो कृषि, विज्ञान, स्टार्टअप, नयी पहल वाली प्रौद्योगिकी, साइबर सुरक्षा तथा भारतीय रक्षा व्यवस्था हेतु आधुनिकतम हथियारों की आपूर्ति एवं तकनीकी स्थानांतरण से संबंधित है. चीन-पाकिस्तान सीमा पर भारतीय सुरक्षा बलों के पास अधिकतर राडार प्रणालियां इस्रायल से आयातित हैं और रूस के बाद इस्रायल ही अब भारत को हथियारों की आपूर्ति करनेवाला सबसे बड़ा देश है।

साइबर सुरक्षा आज सेना का चैथा अंग मानी जाने लगी है. डिजिटल व्यवहार, लेन-देन, बैंक, ई-मेल, व्हॉट्सएप आदि तमाम इंटरनेट आधारित प्रणालियां और एप्स जासूसी और शत्रु देश को अधिकतम चोट पहुंचाने के आसान मार्ग भी बन गये हैं। विश्व में आज इस्रायल साइबर-सुरक्षा तकनीक की बेताज राजधानी माना जाता है।  वहां प्राथमिक शालाओं के छात्र विद्यालयों में साइबर सुरक्षा और हैकिंग का पाठ पौते तो किये ही हैं, साथ ही जल-संरक्षण, सागर के खारे जल को पेयजल में बदलने की तकनीक, कृशि क्षेत्र में ड्रिप सिंचाई, नहरों का पारस्परिक ताना-बाना, ये सब उन तमाम सहयोगों के अतिरिक्त हैं, जो भारत को आतंकवाद से लड़ने के लिए इस्रायल से मिलते हैं, जिनमें गुप्तचर सूचनाएं, मोसाद की सहायता, आतंकवाद के भारत में सक्रिय संजाल को खत्म करने के लिए भारत की गुप्तचर एवं सुरक्षा एजेंसियों से उच्चतम स्तर पर संपर्क शामिल हैइन सब आत्मीयताओं का आधार दो हजार साल पुराना सभ्यता-संस्कृति मूलक संबंध है।  जो समाज दुनिया के सभी देषों में प्रताड़ित हुआ, नस्लीय भेदभाव का षिकार बना, गैस चैंबरों में लोमहर्शक हत्याएं हेतु झोंका गया, जिनके घरों को ध्वस्त किया गया, जिन्हें अपने ही देश से निकाला गया, उस समाज को केवल भारत के हिंदुओं ने दो हजार साल पहले प्रेम, अपनापन दिया।  यह बात कोई यहूदी कभी भूलता नहीं है।

आज भले ही भारत में केवल पांच हजार यहूदी होंगे, क्योंकि अधिकांश इस्रायल बनने के बाद चले गये, लेकिन भारत की विकास गाथा में उनका अप्रतिम योगदान सभी भारतीय कृतज्ञता से याद करते हैं। यदि 1971 में पाकिस्तानी सेना से आत्मसमर्पण करवानेवाले नायक लेफ्टिनेंट जनरल जेएफआर जैकब यहूदी थे, तो महाराष्ट्र में श्रेष्ठ स्कूल, पुस्तकालय, बंदरगाह, अस्पताल भी डेविड सैसून जैसे अनेक यहूदी भारतीयों ने बनवाये। भारतीय फिल्म उद्योग कभी यहूदी नायक-नायिकाओं के योगदान से उऋण नहीं हो सकता।  सुलोचना, नादिरा, डेविड यदि प्रथम सवाक् फिल्मों की नायिकाओं से लेकर चरित्र नायकों तक भारतीय फिल्म उद्योग के शिखर पर छाये रहे।  लेकिन, कभी भी यहूदी समाज ने भारत में अपने लिए अल्पसंख्यक दर्जा या विषेशाधिकार की मांग तक नहीं की।

प्रत्येक देश की कूटनीति का एकमात्र उद्देश्य अपने देश के हितों की रक्षा करना होता है. लेकिन, यह ऐसी नीति अपनाने का नाम है, जिससे दोनों पक्षों को लाभ हो।  इस्राइल का विश्व में सबसे बड़ा हथियार खरीदनेवाला एकमात्र देश  है भारत। अभी ही इस्राइल को तेरह हजार करोड़ के सौदों का लाभ मिला है. इस्राइल की स्टार्टअप, साइबर सुरक्षा आदि भी उसके देष को भारत जैसा एक विशाल और विराट बाजार उपलब्ध कराती है, लेकिन इसके साथ भारत को भरोसेमंद रक्षा-सहयोग मिलता है।

यानी दोनों देश का लाभ भारत में बेंजामिन नेतन्याहू की यात्रा के कारण जो नया उत्साह पैदा हुआ है, उसका हमें लाभ उठाना चाहिए। भारत के युवा इस्रायल की यात्रा पर जायें, यहां के निजी एवं सरकारी विश्वविद्यालय एवं अन्य संस्थान इस्रायल के शैक्षिक-तकनीकी संस्थानों से संबंध जोड़ें, तो बात बेहतर बनेगी।

Taruna Vijay

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Tarun Vijay is founder and executive editor of Namaste Shalom. A seasoned journalist for over three decades, Tarun was the chief editor of Panchjanya for approximately two decades before entering into public life and active social service. ...more
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